ग्वालियर। "ओ दद्दा मेते ऐसी का गलती है गई थी जो तैंने हमसे हमाओ खेल को मैदान छीन लओ, और जे पकड़ा दई हमाए हाथ में (बंदूक दिखाते हुए) अब हम भगत फिर रए चंबल के बीहडऩ में.... फिल्म पान सिंह तोमर का ये मार्मिक सीन पूरे देश को आज भी याद है क्योकिं ये कहानी सूबेदार पान सिंह तोमर के जीवन पर बनी फिल्म का है। पानसिंह तोमर के किरदार को फिल्मी परदे पर जीवंत करने की शानदार जिम्मेदारी निभाने वाले एक्टर इरफान खान ने 53 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। वे कैंसर से पीडि़त थे कई दिनों से मुम्बई के कोकिलाबेन अस्पताल में उनका ईलाज चल रहा था। लेकिन ईश्वर की मर्जी के आगे किसी की नहीं चली। इरफान खान की मृत्यु की खबर जैसे ही लोगों को पता चली उसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इरफान खान को श्रद्धांजलि देने की बाड़ आ गई है। इरफान खान की एक्टिंग के कायल लोगों को उनके निधन पर भरोसा नहीं हो रहा है।
चंबल में हुई थी फिल्म की शूटिंग:-
तिग्मांशु धूलिया निर्देशित पान सिंह तोमर वास्तिविक जिंदगी पर बनी फिल्म थी। इस फिल्म की शूटिंग चंबल के बीहड़ों में की गई थी। वर्तमान में पानसिंह तोमर का परिवार बबीना (झांसी) में रहता है। बीहड़ हजारों हैक्टेयर भूमी पर फैले मिट्टी की बड़े-बड़े टीले जिनमें यदि कोई गुम हो जाए तो बड़ी मुश्किल से बाहर निकले।
ये पान सिंह की कहानी:-
पान सिंह तोमर भारतीय सेना में थे। सेना में रहते हुए धावक के रूप में एक पहचान बनाई। 1950 और 1960 के दशक में सात बार के राष्ट्रीय स्टीपलचेज चैम्पियन थे, और 1952 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। सेना से समय से पहले सेवानिवृत्त होने के बाद, वह पैतृक गांव लौट आए। दबंगों ने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया था, उनसे बदला लेने के लिए पान सिंह बागी बन गया था।